India Gaze
August 13, 2008
मज़हब क्या है सिखाता
"मज़हब नही सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी है हम वतन है, हिन्दोस्ताँ हमारा"
सब हर साल गाते है
पर एक मज़हब है जो सिखाता है आपस में बैर
पर एक पन्त है जो सिखाता है इंसानियत को मारना
पर एक धर्म है जो सिखाता है देश को देश ना समझना
वो कौन सा धर्म है ???
वो कौन सा पन्त है ???
वो कौन सा मज़हब है ???
August 15, 2007
झंडा उठाते हैं हम
झंडा उठाते हैं हम
क्यों की
15 अगस्त 26 जनवरी
के दिन कोई ये ना भूल जाये
कि इन्हे क्यों बना ते हैं हम
झंडा उठाते हैं हम
इन दिनों
कुछ अच्छा खापाते हैं हम,
लोगों को याद दिलाते हैं हम
झंडा उठाते हैं हम
जब कोई काफिला गुज़रता हैं
देश के ठेकेदारों का
इस सड़क से
तो खुद उठ जाते हैं हम
झंडा उठाते हैं हम.
आज़ादी सस्ती नही हैं,
बिकती नही हैं,
पर रोज़ बेच खाते हैं हम
10 रुपये में 2
झंडा उठाते हैं हम
May 19, 2007
जंग-ऐ-आज़ादी
1857 की क्रांती को आज 150 साल हो गए, आजादी मिली और ....
आज इंडिया गेट भी स्तब्ध है इस आजादी से।
कुछ पल जो मैंने बिताये उस दिन,
मुझे कुछ कहता हुआ सा लगा इंडिया गेट,
उसकी भावनाओ को लिखने कि कोशिश की है;
जो कुछ मै समझ सका,
आपके सामने है।
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बस एक चीज जो नहीं दिखती ,वो है
आज़ादी....
आज इंडिया गेट भी स्तब्ध है इस आजादी से।
कुछ पल जो मैंने बिताये उस दिन,
मुझे कुछ कहता हुआ सा लगा इंडिया गेट,
उसकी भावनाओ को लिखने कि कोशिश की है;
जो कुछ मै समझ सका,
आपके सामने है।
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जंग-ऐ-आज़ादी कि मशाल जली और बुझ गयी ।
हम आज़ाद हो गए बाहरवालों से ।
आज 150 साल हो चुके है उस सूरज को जो
उगा था 1857 में ।
उगा था 1857 में ।
और आज एक सूरज अस्त हो रहा है;
अपनी आज़ादी का ।
हम गुलाम हो गए है अपनो के ।
आज हमारी आवाज़ हमी तक नहीं पहुंचती,
आज हमारे ही लोग हमारा शोषण करते है,
आज हमारे ही लोग हमारा शोषण करते है,
आज हम एक और अंधकार में घिर गए है,
वो जो दिन के रौशन उजाले में दिखाता है ।
बस एक चीज जो नहीं दिखती ,वो है
आज़ादी....
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